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यमुनाष्टक | Shri Yamunashtakam With Lyrics | યમુનાષ્ટક | Devotional Songs | Rajshri Soul

2022-03-07 175 Dailymotion

Listen यमुनाष्टक | Shri YamunashtakamWith Lyrics | યમુનાષ્ટક | Devotional Songs | Rajshri Soul<br /><br />Lyrics :<br />नमामि यमुनामहं सकल सिद्धि हेतुं मुदा<br />मुरारि पद पंकज स्फ़ुरदमन्द रेणुत्कटाम ।<br /><br />तटस्थ नव कानन प्रकटमोद पुष्पाम्बुना<br />सुरासुरसुपूजित स्मरपितुः श्रियं बिभ्रतीम ॥१॥<br /><br />कलिन्द गिरि मस्तके पतदमन्दपूरोज्ज्वला<br />विलासगमनोल्लसत्प्रकटगण्ड्शैलोन्न्ता ।<br /><br />सघोषगति दन्तुरा समधिरूढदोलोत्तमा<br />मुकुन्दरतिवर्द्धिनी जयति पद्मबन्धोः सुता ॥२॥<br /><br />भुवं भुवनपावनीमधिगतामनेकस्वनैः<br />प्रियाभिरिव सेवितां शुकमयूरहंसादिभिः ।<br /><br />तरंगभुजकंकण प्रकटमुक्तिकावाकुका-<br />नितन्बतटसुन्दरीं नमत कृष्ण्तुर्यप्रियाम ॥३॥<br /><br />अनन्तगुण भूषिते शिवविरंचिदेवस्तुते<br />घनाघननिभे सदा ध्रुवपराशराभीष्टदे ।<br /><br />विशुद्ध मथुरातटे सकलगोपगोपीवृते<br />कृपाजलधिसंश्रिते मम मनः सुखं भावय ॥४॥<br /><br />यया चरणपद्मजा मुररिपोः प्रियं भावुका<br />समागमनतो भवत्सकलसिद्धिदा सेवताम ।<br /><br />तया सह्शतामियात्कमलजा सपत्नीवय-<br />हरिप्रियकलिन्दया मनसि मे सदा स्थीयताम ॥५॥<br /><br />नमोस्तु यमुने सदा तव चरित्र मत्यद्भुतं<br />न जातु यमयातना भवति ते पयः पानतः ।<br /><br />यमोपि भगिनीसुतान कथमुहन्ति दुष्टानपि<br />प्रियो भवति सेवनात्तव हरेर्यथा गोपिकाः ॥६॥<br /><br />ममास्तु तव सन्निधौ तनुनवत्वमेतावता<br />न दुर्लभतमारतिर्मुररिपौ मुकुन्दप्रिये ।<br /><br />अतोस्तु तव लालना सुरधुनी परं सुंगमा-<br />त्तवैव भुवि कीर्तिता न तु कदापि पुष्टिस्थितैः ॥७॥<br /><br />स्तुति तव करोति कः कमलजासपत्नि प्रिये<br />हरेर्यदनुसेवया भवति सौख्यमामोक्षतः ।<br /><br />इयं तव कथाधिका सकल गोपिका संगम-<br />स्मरश्रमजलाणुभिः सकल गात्रजैः संगमः ॥८॥<br /><br />तवाष्टकमिदं मुदा पठति सूरसूते सदा<br />समस्तदुरितक्षयो भवति वै मुकुन्दे रतिः ।<br /><br />तया सकलसिद्धयो मुररिपुश्च सन्तुष्यति<br />स्वभावविजयो भवेत वदति वल्लभः श्री हरेः ॥९॥<br /><br />॥ इति श्री वल्लभाचार्य विरचितं यमुनाष्टकं सम्पूर्णम ॥

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